पदार्थ- कोई भी वस्तु जो कुछ स्थान घेरती है और जिसका कोई निश्चित वजन या भार होता है उसे पदार्थ कहते है। उदाहरण- कार, लकड़ी, किताब, पेन, बर्फ आदि।
पृथक्करण- सरल भाषा में पृथक का अर्थ होता है अलग और पृथक्करण वह प्रक्रिया होती है जिसमे हम पदार्थ के किसी मिश्रण से पदार्थों को अलग करते है।
हम अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बहुत से ऐसे उदाहरणों को देख सकते है जिसमे हम पदार्थो को किसी भी मिश्रण से अलग करते है। उदाहरण के लिए चाय में से चाय की पत्तियों को छलनी के माध्यम से अलग करना।
अक्सर हम नमकीन चावल या पोहा आदि में से मिर्च को बाहर निकाल देते है अगर हमें पसंद न हो तो।
हम पदार्थों को पृथक क्यों करते है?
पृथक्करण करना | पृथक्करण करने का उद्देश्य | पृथक्कृत अवयवो का हम क्या करते है? |
चावलों से पत्थर को अलग करना | दो भिन्न लेकिन उपयोगी पदार्थों को अलग करना | ठोस अवयव को फेंक देते है। |
मक्खन प्राप्त करने के लिए दूध का मथना | अनुपयोगी पदार्थ को अलग करना | अशुद्धियों को फेक देते है। |
चाय से चाय की पत्तियों को अलग करना | हानिकारक अवयवों को पृथक करना | हम दोनों अवयवों का प्रयोग करते है। |
हम किसी भी पदार्थ या वस्तु के इस्तेमाल से पहले उसमे मौजूद अनुपयोगी और हानिकारक पदार्थ को अलग करते है। कभी कभी हम उन पदार्थों को भी अलग करते है जो उपयोगी है और जिन्हे अलग से इस्तेमाल करने की जरूरत है।
पृथक्करण करने की विधियाँ
पृथक्करण करने की सभी विधियाँ निम्नलिखित है-
हस्त चयन
- हस्त चयन वह विधि जिसमें हम हाथों के माध्यम से पदार्थो को अलग करते है।
- इस विधि का उपयोग हम गेहूँ, चावल या दालों आदि में से मिट्टी के कणों, पत्थर, कंकड़ आदि को अलग करने के लिए करते है।
- ऐसी अशुद्धियों की मात्रा अक्सर कम होती है। और इसी कारण उनको आसानी से हाथों द्वारा अलग किया जा सकता है।
थ्रेशिंग
- थ्रेशिंग वह प्रक्रिया होती है जिसमें अनाज के कणों को उसके सूखे पौधों में से अलग किया जाता है।
- इसमें सूखे पौधों की डंडियों को पीटकर उनमें से अनाज को अलग किया जाता है।
- यह कार्य कभी कभी बैलों के माध्यम से और अधिक मात्रा होने पर थ्रेशिंग मशीन की सहायता से किया जाता है।
निष्पावन
- निष्पावन वह प्रक्रिया होती है जिसमे हम किसी मिश्रण के भारी और हल्के पदार्थ को वायु की मद्दद से अलग करते है।
- उदाहरण के लिए हल्के भूसे को भारी अनाज के कणों से अलग करना।
- नीचे दिये गए चित्र में महिला एक सूप की मद्दद से अनाज में से भूसे को अलग कर रही है। हल्का होने के कारण भूसा हवा की दिशा में उड़कर इकट्ठा हो रहा है जबकि अनाज के कण भारी होने के कारण नीचे इकट्ठे हो रहे है।
- हम निष्पावन प्रक्रिया का प्रयोग सूखी रेत और लकड़ी का बुरादा, चीनी और नमक आदि को अलग करने के लिए भी कर सकते है।
चालन
- जब हम छलनी के माध्यम से उन पदार्थो को अलग करते है जिनका आकार अलग है तो इस प्रक्रिया को चालन विधि कहते है। जैसे- आटे में से चोकर को छलनी की मद्दद से अलग करना। छलनी का आकार जरूरत के हिसाब से छोटा या बड़ा हो सकता है।
- इसमे आटे के छोटे कण छलनी मे से निकाल जाते है और अशुद्धियाँ छलनी में ही रह जाती है।
- बड़े चालन के प्रयोग से रेत में से कंकड़ को अलग किया जाता है जैसा की आप नीचे दिये गए चित्र में देख सकते है।
अवसादन, निस्तारण और निस्यंदन
- अवसादन- जब हम किसी भी मिश्रण में जल मिलाते है तो भारी पदार्थ या अवयव नीचे तली में बैठ जाते है इसी प्रक्रिया को हम अवसादन कहते है। उदाहरण के लिए मिट्टी और जल के मिश्रण में मिट्टी भारी होने के कारण तली में बैठ जाएगी।
- अवसादन की प्रक्रिया के बाद जब हम अवसादित मिश्रण को बिना हिलाये ऊपर से साफ जल या द्रव को दूसरे बर्तन में डालते है तो उसे निष्पादन कहते है।
- जब हम किसी तरल या द्रव पदार्थ में से ठोस पदार्थ को अलग करते है तो उसे निस्यंदन (फ़िल्टर करना) कहते है। उदाहरण के लिए चाय में से छलनी की मद्दद से चाय की पत्तियों को अलग करना।
- निस्यंदन करने के लिए हम छलनी, कपड़ा और फ़िल्टर-पत्र (Filter Paper) आदि का प्रयोग करते है।
- फ़िल्टर-पत्र एक ऐसा निस्यंदक है जिसमे बहुत की छोटे छिद्र होते है।
- नीचे दिये गए पहले चित्र में फ़िल्टर पेपर का कोण बनाया गया है। और दूसरे चित्र में उसका प्रयोग निस्यंदन करने के लिए किया गया है। इस प्रक्रिया में ठोस पदार्थ फ़िल्टर पेपर पर ही रह जाते है।
- इस प्रक्रिया का प्रयोग हम अक्सर घरो में पनीर बनाने के लिए भी करते है।
वाष्पन
- किसी द्रव को वाष्प में बदलने की प्रक्रिया को वाष्पन कहते है। उदाहरण के लिए समुद्र से नमक को प्राप्त करना।
पृथक्करण की एक से अधिक विधियों का उपयोग
- संघनन- जल वाष्प से उसकी द्रव अवस्था में बदलने की प्रक्रिया को संघनन कहते है। उदाहरण के लिए नीचे दिए गए चित्र में हम देख सकते है की वाष्पित जल की बुँदे संघनित होकर दूसरे पदार्थ में इकट्ठी हो रही है।
- जिस पदार्थ में दूध उबाला गया हो उस पर ढकी प्लेट पर हम कुछ वक्त बाद जल की संघनित बूंदों को देख सकते है।
- संतृप्त विलयन- जब हम द्रव में किसी पदार्थ को मिलाते है तो उससे विलयन बनता है। जब किसी विलयन में और पदार्थ न घुल सकते तो उसे संतृप्त विलयन कहते है।
- उदाहरण के लिए एक गिलास पानी में नमक को अच्छे से घोलिए। एक एक चम्मच करके नमक को जल में तब तक तब घोले जब तक जल में अधिकतम नमक घुल सकता है। कुछ वक्त बाद आप देखेंगे की नमक घुलने की जगह जल की सतह में जाकर बैठ जाएगा, इसी विलयन को हम संतृप्त विलयन कह सकते है।
कक्षा 6 विज्ञान अध्याय 5 पदार्थों का पृथक्करण के प्रश्न उत्तर
पदार्थों का पृथक्करण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1: हमें किसी मिश्रण के विभिन्न अवयवों को पृथक करने की आवश्यकता क्यों होती है? दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर 1: हमें किसी मिश्रण में से पदार्थों को अलग करने की आवश्यकता निम्न कारणों से हो सकती है- दो भिन्न लेकिन उपयोगी पदार्थों को अलग करना, अनुपयोगी पदार्थ को अलग करना, हानिकारक अवयवों को पृथक करना।
उदाहरण 1: चाय बनाते समय चाय की पत्तियों को छलनी द्वारा पृथक् किया जाता है।
उदाहरण 2: मक्खन को दही से मंथन क्रिया द्वारा अलग (पृथक्) किया जाता है।
प्रश्न 2: निष्पावन से क्या अभिप्राय है? यह कहाँ उपयोग किया जाता है?
उत्तर 2: निष्पावन वह प्रक्रिया होती है जिसमे हम किसी मिश्रण के भारी और हल्के पदार्थ को वायु की मदद से अलग करते है। उदाहरण के लिए हल्के भूसे को भारी अनाज के कणों से अलग करना। निष्पावन करते समय भूसे के हल्के कण हवा में उड़ कर दूर गिरते हैं जबकि भारी कण अलग होकर निकट ही एक ढेर बना लेते हैं।
प्रश्न 3: पकाने से पहले दालों के किसी नमूने से आप भूसे एवं धूल के कण कैसे पृथक करेंगे ?
उत्तर 3: हस्त चयन की विधि का उपयोग करके हम गेहूं, चावल तथा दालों से बड़े मिट्टी के कणों, पत्थर तथा भूसे को अलग कर सकते हैं।
प्रश्न 4: छालन से क्या अभिप्राय है? यह कहाँ उपयोग होता है?
उत्तर 4: जब हम छलनी के माध्यम से उन पदार्थो को अलग करते है जिनका आकार अलग है तो इस प्रक्रिया को छालन विधि कहते है। छलनी सामान्य आकारों वाले अवयवों को छेद से होकर गुजरने देती है, जबकि बड़ी अशुद्धियाँ छलनी में ही रह जाती है।
छालन विधि का उपयोग निर्माण स्थलों पर रेट और सीमेंट के मिश्रण से छोटी गांठों को अलग करने के लिए भी किया जाता है।
प्रश्न 5: रेत और जल के मिश्रण से आप रेत तथा जल को कैसे पृथक करेंगे?
उत्तर 5: रेट और जल के मिश्रण को पृथक करने के लिए हम निस्तारण विधि का उपयोग कर सकते है। रेत के भारी कण बर्तन के तली में बैठ जाता है इसे अवसादन कहते है। इससे पानी जो हल्का होता है ऊपर रह जाता है जिसे निस्तारण विधि से अलग कर लिया जाता है | पानी को और साफ करने के लिए फ़िल्टर पेपर से छानकर अलग किया जा सकता है
प्रश्न 6: आटे और चीनी के मिश्रण में से क्या चीनी को पृथक करना संभव है ? अगर हाँ, तो आप इसे कैसे करेंगे?
उत्तर 6: हाँ, आटे और चीनी के मिश्रण को पृथक किया जा सकता है। आटे और चीनी के मिश्रण को चालन विधि द्वारा पृथक किया जा सकता है। जिसमे आटे के छोटे कण छलनी से निकाल जाएंगे और चीनी छलनी में ही रह जाएगी।
प्रश्न 7: पंकिल जल के किसी नमूने से आप स्वच्छ जल कैसे प्राप्त करेंगे?
उत्तर 7: पंकिल जल से साफ जल प्राप्त करने के लिए हमें निम्नलिखित चरणों का उपयोग कर सकते है:
- एक नमूने को गिलास में लीजिए इसको आधा घंटा बिना हिलाये रहने दें।
- थोड़ी देर बाद गिलास की तली में अशुद्धियाँ बैठ जाएंगी, क्योंकि मिट्टी के कण भारी होते हैं। इस प्रक्रिया को अवसादन कहते है।
- जल को बिना हिलाए गिलास को थोड़ा तिरछा कीजिए। उस गिलास के ऊपर के जल को दूसरे गिलास में उड़ेलिए। इस प्रक्रम को निस्तारण कहते हैं।
- यदि गिलास का जल अब भी पंकिल है तो इसे फिल्टर पेपर का प्रयोग करके छान सकते है। इस प्रक्रिया को निस्यंदन कहते है।
प्रश्न 8: रिक्त स्थानों को भरिए :
(क) धान के दानों को डंडियों से पृथक करने की विधि को …………….. कहते हैं।
(ख) किसी एक कपड़े पर दूध को उड़ेलते हैं तो मलाई उस पर रह जाती है। पृथक्करण की यह प्रक्रिया ………………… कहलाती है।
(ग) समुद्र के जल से नमक ………………… प्रक्रिया द्वारा प्राप्त किया जाता है।
(घ) जब पंकिल जल को पूरी रात एक बाल्टी में रखा जाता है तो अशुद्धियाँ तली पर बैठ जाती हैं। इसके पश्चात् स्वच्छ जल को ऊपर से पृथक् कर लेते हैं। इसमें उपयोग होने वाली पृथक्करण की प्रक्रिया को ……………… कहते हैं।
उत्तर 8:
(क) धान के दानों को डंडियों से पृथक करने की विधि को थ्रेशिंग कहते हैं।
(ख) किसी एक कपड़े पर दूध को उड़ेलते हैं तो मलाई उस पर रह जाती है। पृथक्करण की यह प्रक्रिया निस्यंदन कहलाती है।
(ग) समुद्र के जल से नमक वाष्पन प्रक्रिया द्वारा प्राप्त किया जाता है।
(घ) जब पंकिल जल को पूरी रात एक बाल्टी में रखा जाता है तो अशुद्धियाँ तली पर बैठ जाती हैं। इसके पश्चात् स्वच्छ जल को ऊपर से पृथक् कर लेते हैं। इसमें उपयोग होने वाली पृथक्करण की प्रक्रिया को निस्तारण कहते हैं।
प्रश्न 9: सत्य अथवा असत्य?
(क) दूध और जल के मिश्रण को निस्यंदन द्वारा पृथक किया जा सकता है।
(ख) नमक तथा चीनी के मिश्रण को निष्पावन द्वारा पृथक् कर सकते हैं
(ग), चाय की पत्तियों को चाय से पृथक्करण निस्यंदन द्वारा किया जा सकता है
(घ) अनाज और भूसे का पृथक्करण निस्तारण प्रक्रम द्वारा किया जा सकता है।
उत्तर 9:
(क) दूध और जल के मिश्रण को निस्यंदन द्वारा पृथक किया जा सकता है। असत्य
(ख) नमक तथा चीनी के मिश्रण को निष्पावन द्वारा पृथक् कर सकते हैं। असत्य
(ग), चाय की पत्तियों को चाय से पृथक्करण निस्यंदन द्वारा किया जा सकता है। असत्य
(घ) अनाज और भूसे का पृथक्करण निस्तारण प्रक्रम द्वारा किया जा सकता है। असत्य
प्रश्न 10: जल में चीनी तथा नींबू का रस मिलाकर शिकंजी बनाई जाती है। आप बर्फ डालकर इसे ठंडा करना चाहते हैं आप शिकंजी में बर्फ चीनी घोलने से पहले डालेंगे या बाद में? किस प्रकरण में अधिक चीनी घोलना संभव होगा ?
उत्तर 10: शिकंजी में बर्फ चीनी घोलने के बाद में डालनी चाहिए। ठन्डे पानी की तुलना में चीनी गर्म पानी में जल्दी घुल जाती है। हम पानी में बर्फ मिलाने से पहले अधिक चीनी घोल सकते है।